हेलो दोस्तों, आज हम मजदूरों के महत्व पर बात करेंगे। चाहे हम किसी भी घर में रह रहे हो, किसी भी फैक्ट्री में काम करते हो, किसी भी उद्योग को बढ़ता हुआ देख रहे हो; इन सब की उन्नति के पीछे मजदूरों का बहुत बड़ा हाथ है। यदि हमारे पास मजदूर नहीं होंगे तो हमारा उन्नति कर पाना लगभग असंभव होगा।
वह कहते हैं ना— जब तक कोई चीज हमारे पास मौजूद होती है, हम उसकी परवाह नहीं करते। ठीक यही चीज मजदूरों पर लागू होती है। भारत जैसे आबादी वाले देश में मजदूरों को मिट्टी की तरह देखा जाता है। इनकी कीमत कंकड़ के भाव लगाई जाती है।हालांकि कुछ वर्षों में मजदूरों का शोषण कम हुआ है और उनकी उन्नति के लिए प्रयास किए गए हैं; परंतु आज भी हमारे मजदूर भाई अपने जीवन को बेहतर बनाने में असमर्थ है।
मजदूरों का महत्व (Importance Of Labours)
मजदूरों के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि- यदि दुनिया में एक भी मजदूर ना हो केवल व्यापारियों ही हो, तो विकास की ओर नहीं जाया जा सकता।
हमारे मजदूर भाई श्रम का जीता-जागता उदाहरण है। यदि मेहनत वास्तव में क्या होती हैं, जान्ना हो तो इन मजदूरों से पूछिए—
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इस लगातार शोषण के चलते इनका विकास लगातार बाधित होता जा रहा है। ऐसे महंगाई वाले देश में जहाँ लाखों रुपए बच्चों की पढ़ाई में खर्च होते हैं, वहाँ एक मजदूर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में असमर्थ हो जाता है, जोकि देश के लिए ही शर्मनाक है।
मजदूरों को प्राप्त सहायता (Facilities To Labourers)
यदि मजदूरों की वर्तमान हालत को देखा जाए तो उनमें काफी सुधार देखा जा रहा है। केंद्रीय सरकार द्वारा समय-समय पर मजदूरों के लिए स्कीम व आर्थिक सहायता लाई जा रही है। पहले मजदूरों को काम नहीं दिया जाता था और कभी कभी कम वेतन में उन्हें रख लिया जाता था; परंतु अब सरकार द्वारा एक न्यूनतम वेतन लागू कर दिया गया हैं जिसके परिणामवश मजदूरों को काफी राहत मिली हैं। महंगाई को ध्यान में रखते हुए इस न्यूनतम वेतन में भी बदलाव होता रहता है।
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जरूर पढ़ें- मजदूरों के लिए प्रावधान
भारतीय संविधान को नजर रखते हुए मजदूरों के लिए भी कई निश्चित प्रावधान निहित है। हाल ही में मजदूरों के द्वारा किए गए काम के लिए निश्चित घंटे निर्धारित किए गए हैं। इन प्रावधानों के उल्लंघन पर सख्त सजा व तय किया गया है। बंधुआ मजदूरी को गैर कानूनी घोषित किया गया है। श्रम न्यायालय का निर्माण किया गया है ताकि मजदूरों के साथ हो रहे अत्याचारों पर लगाम लग सके। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मजदूरी में लगाना गैरकानूनी है पर ऐसा करने पर कठोर सजा तय की गई है। श्रम संगठनों को अधिकार हेतु आंदोलन का भी अधिकार दिया गया है।
निष्कर्ष
हमारे मजदूर भाई भी हमारी तरह एक इंसान है और उन्हें भी सभी अधिकार व शांति का जीवन मिलना चाहिए यदि हम सब मिलकर समानता को बढ़ावा देंगे तो निश्चित ही हमारा देश ही नहीं पूरा विश्व विकास करेगा। मजदूरों का भला मानव जाति का भला होगा। इसलिए सदैव मानवता के पक्ष में रहे!