क्या आप कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध लिखना चाहते हैं? यदि आपको समझ नहीं आ रहा है। कि आप किस तरह से जन्माष्टमी पर निबंध लिखें तो आपको हमारे इस निबंध/ लेख से मदद मिल सकती हैं। इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
जरूर पढ़ें- कृष्ण जन्माष्टमी पर 10 वाक्य।
जन्माष्टमी पर लेख कैसे लिखें?
जन्माष्टमी हर वर्ग को आकर्षित करती है। इस त्यौहार को उत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस संबंध में बहुत सारे आयोजन भी होते हैं।
आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप कृष्ण लीला को कैसे आकर्षक शब्दों के साथ प्रभावी लेख के रूप में लिख सकते हैं। ताकि आप कृष्ण के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाल सकें, उनकी बचपन की लीलाओं के बारे में बता सके, हमने आपके इसी बात को ध्यान में रख कर एक निबंध तैयार किया है। जिसकी सहायता से आपको स्पष्ट सुव्यवस्थित जानकारी से सुसज्जित लेख लिखने में मदद मिल सकती है।
क्या आप कृष्ण जन्माष्टमी पर लघु निबंध लिखना चाहते हैं?
अगर आपको कृष्ण जन्माष्टमी पर लघु निबंध लिखना हो तो आप हमारे इस लेख से सहायता ले सकते हैं। हमने इस निबंध को लघु और दीर्घ दोनों रूप में बनाया है।
2021 में जन्माष्टमी कब है?
इस वर्ष 2021 में जन्माष्टमी 30 अगस्त (सोमवार) के दिन पड़ रही है। पूरे भारतवर्ष में यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा इसके साथ ही विदेशों में भी इस त्यौहार को बहुत ही सम्मान के साथ मनाया जाता है। इस दिन युवाओं में काफी जोश उमंग देखा जाता है और जगह-जगह मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है।
जन्माष्टमी पर हम 1000 शब्दों में आपके सामने एक लेख लेकर आए हैं। आप इसे अपने शब्दों के अनुसार कम या अधिक शब्दों में भी बना सकते हैं।
आइए हम जन्माष्टमी पर निबंध लिखते हैं । साथियों जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत ही पावन त्यौहार है। यह हिंदुओं का बहुत ही पवित्र पर्व है। जो प्रतिवर्ष भाद्रपद में मनाया जाता है।
प्रस्तावना एवं उपसंहार सहित जन्माष्टमी पर निबंध
प्रस्तावना:-
जन्माष्टमी भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी का त्यौहार है। जो रक्षाबंधन के बाद आता है भगवान श्री कृष्ण की याद में मनाया जाने वाला यह पर्व जन्माष्टमी के नाम से पूरे भारतवर्ष के साथ ही विदेशों में भी प्रसिद्ध है। भाद्र पद की अष्टमी के दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुल जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है यह हिंदुओं का बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है भगवान कृष्ण को विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी का अर्थ:-
जनमाष्टमी का अर्थ कृष्ण-जन्म अष्टमी है। जिस दिन भगवान विष्णु ने कृष्णा अवतार में पृथ्वी पर जन्म लिया था।
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व:-
हिंदू धर्म के सभी त्यौहारों में जन्माष्टमी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। शास्त्रों के अनुसार इसे व्रत राज भी कहा जाता है। अर्थात एक दिन के व्रत रखने मात्र से कई व्रत करने का फल प्राप्त होता है। यह भी मान्यता है कि यदि भक्त भगवान श्री कृष्ण को पालने में एक बार झूला झुला ले तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है ।
कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास
शास्त्रों के पौराणिक मान्यता अनुसार द्वापर युग में मथुरा में कंस नाम का एक राजा रहता था जो बहुत ही अहंकारी और अत्याचारी था। जिसके आतंक से पूरे मथुरा वासी परेशान थे, और उसकी एक चचेरी बहन थी। जिसका नाम देवकी था।
कंस अपनी बहन को बहुत ही स्नेह करता था।अपनी बहन का विवाह उसने बहुत ही धूमधाम से वासुदेव नाम के राजकुमार से किया, दोनों की विवाह के कुछ दिन पश्चात ही कंस के लिए आकाशवाणी हुई। कि देवकी की आठवीं संतान ही उसके विनाश का कारण बनेगा।
यह सुनते ही कंस अपना आपा खो बैठा और अपने ही सबसे प्रिय बहन को मारने के लिए तलवार उठा लिया, तब वासुदेव ने अपनी पत्नी देवकी का बचाव करते हुये कंस से वादा किये कि वह अपनी आठो संतान को उसे दे देंगे फिर कंस ने दोनों को कारागृह में डाल दिया और कड़ी निगरानी लगा दी।
देवकी के सातों संतान को कंस ने एक-एक कर मार दिया। देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण का कारागृह में जन्म हुआ था और उन्होंने ही कंस का वध कर मथुरा को भयमुक्त किया था।
कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
भगवान श्री कृष्ण का जन्म हिंदू मान्यता के अनुसार महान उद्देश्य के लिये हुआ था। उनके जन्म दिन को जन्माष्टमी के रुप में मनाया जाता हैं।
जन्माष्टमी बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है, इस दिन भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में धरती पर देवकी की कोख से जन्म लिया था। प्राचीन कथा अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म अपने मामा कंस का वध करने और संसार को परिशुध प्रेम सीखने के लिए तथा उसके आतंक से अंत दीलाने के लिए हुआ था।
भगवान श्री कृष्ण ने जन्म क्यों लिया?
भगवान श्री कृष्ण ने अपने अनेक उद्देश्य पूर्ति के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया था।
• भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध करने हेतु जन्म लिया था।
• संसार को परिशुध प्रेम सीखने हेतु जन्म लिया था।
• इसके अलावा सबसे महान कार्य संसार में धर्म की स्थापना के लिए जन्म लिया था।
जन्माष्टमी का पौराणिक महत्व:-
पौराणिक कथा और शास्त्र के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को आधी रात को कारागृह में हुआ था। उस समय वृषभ राशि और चंद्रमा तथा रोहिणी नक्षत्र का संयोग था।
माखनचोर:-
भगवान श्री कृष्ण को माखन चोर के रूप में भी जाना जाता है श्रीकृष्ण को उनके बचपन की अनगिनत लीलाओं में से सबसे प्रसिद्ध लीला हैं। उनके बचपन का लीला माखन चुराना, मां यशोदा उनके इस माखन चोरी से बेहद परेशान रहती थी।
त्यौहार का नाम | जन्माष्टमी |
कृष्ण की माता | देवकी माता और यशोदा मैया |
कृष्ण के पिता | वासुदेव और नंद बाबा |
ईस्ट भगवान | द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण |
विशेष या उपलक्ष्य | कृष्ण जन्मोत्सव |
त्यौहार का प्रकार | धार्मिक |
कृष्ण किस युग में जन्म लिए थे | द्वापरयुग |
धर्म | हिन्दू |
जन्माष्टमी तिथि 2021 में | 30 अगस्त को श्रावण मास की पुर्णिमा के बाद आठवे दिन |
कृष्ण की पत्नी | रुकमणी, जामवती, सत्यभामा, सहित 16,018 पत्नियां थीं। |
कलयुग में नारायण का अवतार | कल्कि अवतार में आएंगे |
कृष्ण का प्रेम | राधा |
श्री कृष्ण अपने ही घर में नहीं बल्कि मथुरा के सभी घरों में अपने साथियों के साथ मिलकर माखन चोरी करते थे, गांव के सभी लोग कृष्ण की शिकायत माँ यशोदा से करने आते थे कि वह कृष्ण को समझाये पर सभी कृष्ण को बहुत प्यार भी करते थे। यशोदा माँ उनके चोरी से तंग आकर उन्हें रस्सी से बांध दिया करती थी। भगवान कृष्ण पूरे विश्व में माखन चोर के नाम से भी जाने जाते हैं।
माखन चोरी श्री कृष्ण के प्रेम की महिमा के चित्रण का प्रतीक है। उनमें इतना आकर्षण और कौशल है, कि संयमित से संयमित व्यक्ति का मन भी वे चुरा लेते हैं। जन्माष्टमी पुरे विश्व में हिन्दुओं द्वारा बड़े उत्साह के साथ अलग -अलग ढंग से मनाया जाता है।
महाराष्ट्र की दही हांडी
महाराष्ट्र की दही हांडी पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। अन्य प्रदेशों में भी इसे पुरे धुम धाम से मनाया जाता हैं ,सुन्दर सुन्दर झाँकिया सजाई जाती है। और विभिन्न कार्यक्रम/प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
आधुनिक युग में जन्माष्टमी का महत्व:-
जन्माष्टमी का महत्व ना प्राचीन काल में कम था, ना ही आधुनिक समय में कम हुआ है। जन्माष्टमी का सभी को इंतजार रहता है, आज भी सिर्फ भारत में नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय भी बहुत ही धूमधाम से पुरे आस्था, उत्साह और उल्लास के साथ इस त्यौहार को उत्सव के रूप में मनाते हैं।
कृष्ण की भक्तों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जब-जब संसार में पाप अत्याचार अधर्म और घृणा की अधिक बढ़ जाते हैं तब तक धर्म का नाश होने लगता है जब- जब मानवता सताई जाती है, दीन दुखियों को परेशान किया जाने लगता है , तब -तब संसार में महान शक्ति अवतार लेते हैं, और धर्म की स्थापना होती है।
श्री कृष्ण का जन्म भी इसी उद्देश्य से प्रेरित था। कृष्ण युवाओं, महिलाओं सभी को बहुत ही प्रिय हैं। कृष्ण भूमि मथुरा में जन्माष्टमी के दिन विशेष आयोजन कर उनके जन्म को उत्सव के रुप में मनाया जाता है। जो कि जग प्रसिद्ध है।