नमस्कार पाठको, आप तालिबान क्या है? के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं? यदि हां तो इस लेख में आपको तालिबान से संबंधित पूरी जानकारी पढ़नेे को मिलेगी।
आखिर तालिबान कौन है? जानिए क्यों है ये समूह इतनीखतरनाक
आज जिस तरह की स्तिथि अफगानिस्तान(Afghanistan)की हो चुकी है, वह किसी लोकतांत्रिक देश के लिए एक तरह की बड़ी त्रासदी हो गई है। जैसा की आपने भी देखा की अफगानिस्तान की राजधानी काबुल(Kabul) पर तालिबान (Taliban) का कब्जा हो गया है और वहां के राष्ट्रपति देश छोड़कर ऐसे भाग गए की उनका नाम और निशान का पता ही नहीं चला।
तालिबान का नाम अब सभी के जुबान पर हो गया है, उनके कट्टरपंथी विचारधारा से अब पूरी दुनिया परिचित है। आज हम आपको तालिबान संगठन के बारें में ऐसे कुछ सवालों के जवाब देने वाले हैं। जिन्हे जानना आपको जरुरी है।
तालिबान नाम का मतलब क्या है?
यह सवाल हमेशा पूछा जाता है आखिर तालिबान का मतलब क्या है ? तालिबान शब्द पश्तो भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ छात्र (स्टूडेंट) होता है।
माना जाता है कि यह आंदोलन पहले सुन्नी इस्लामिक धर्म की शिक्षा देने वाले मदरसों से जुड़े लोगों ने खड़ा किया और इसके लिए सऊदी अरब ज्यादातर पैसा फंड करता था।
तालिबान की शुरुआत किसने की?
तालिबान की शुरुआत मुल्ला मोहम्मद उमर ने पूर्वी पाकिस्तान के कुछ मदरसों से की थी। तालिबान ने अपने शुरुआती दिनों में शांति और सुरक्षा स्थापित करने का दावा करता था।
लेकिन सत्ता में आते ही उन्होंने होना रवैया बदल दिया और शरिया कानून के आधार पर शासन स्थापित करने की बात कहने लगा और देखते-देखते यह सब हिंसक होता गया।
तालिबान संगठन को मान्यता देने वाले देशों में सिर्फ सउदी अरब ,पाकिस्तान और UAE का नाम ही शामिल है।
तालिबान की स्थापना कब हुई?
सोवियत संघ अफगानिस्तान ने 90 के दशक की शुरुआत में अपने सैनिकों को वापस बुला रहा था, उस समय तालिबान उभरने लगा। देखते-देखते तालिबान ने 1995 में ईरान की सीमा से लगे हेरात प्रांत पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद 1998 तक तालिबान ने अफगानिस्तान पर करीब 90 प्रतिशत कब्जा कर लिया था।
ये हैं वो लोग जिनके हाथ में है तालिबान संगठन की बागडोर।
इस संगठन को संभालने वाले इन 5 तालिबानियों का हाथ हैं। जो हैं हैबतुल्ला अखुंजादा, जो 2016 से प्रमुख ही संगठन का प्रमुख है। संस्थापक सदस्य अब्दुल गनी बरादर, डिप्टी चीफ मुल्ला मोहम्मद याकूब, डिप्टी चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी, वार्ता प्रमुख अब्दुल हकीम हक्कानी संगठन के महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
तालिबान की जनसंख्या कितनी है?
तालिबान के पास अब तक 85 हजार से ज्यादा लड़के हैं। तालिबान अब दुनिया का सबसे खतरनाक संगठन बन चुका हैं। रहबरी शूरा तालिबानी संगठन में नेताओं की सबसे बड़ी सलाहकार और निर्णय लेने वाली समिति है। जिसमें 26 सदस्य होते हैं।
तालिबान के पास कितना पैसा है और कहाँ से आया है इतना पैसा?
2016 में फोर्ब्स ने अपने रिपोर्ट के अनुसार अनुमान लगाया कि तालिबान का सालाना कारोबार 42,968 करोड़ रुपए है।
इनकी कमाई का मुख्य जरिया गैर-कानूनी धंधे है जिसमें ड्रग्स, खनन, धार्मिक दान, वसूली, टैक्स, निर्यात और रियल स्टेट है। रूस, ईरान, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों से तालिबान को अच्छी-खासी फंडिंग भी मिलती है।
तालिबान ने किए है ये बड़े हमले?
आपको बता दें, तालिबान ने इतिहास में कई बड़े और वीभत्स हमलें करें हैं, जिसमें तो 2012 में तालिबान ने काबुल में कई हमलें किए थे और साथ में नैटो के कैंप पर भी धावा बोला गया था। तालिबानी अपने कट्टरपंथी जैसे विचारधारा के जाना जाता है, जिसमें उन्होंने अपने कानून बना डालें थे।
ऐसे ही पाबंदी का शिकार हुई मलाला यूसुफ़ज़ई के साथ भी हुआ था। जब तालिबान चरमपंथियों ने अक्टूबर 2012 को मिंगोरा नगर में अपने स्कूल से घर लौट रही मलाला यूसुफ़ज़ई को गोली मार दी थी।
मलाला यूसुफ़ज़ई ने अपने जैसे लड़कियों की पढ़ाई के आवाज उठाई थी। इसके बाद 2014 में पेशावर के एक स्कूल पर तालिएबं ने बड़ा हमला किया, जिसमें 148 लोग मारे गए थे।
तालिबान का नियंत्रण और आम लोगों पर उसके पाबंदियां
तालिबान ने जैसे हीअफगानिस्तान पर पूरा नियंत्रण कर लिया था। उसने वहां के लोगो को भरोसा दिलाना शुरू कर दिया था, कि अल क़ायदा और दूसरे चरमपंथी संगठनों के प्रवेश पर पाबंदी लगाएंगे और साथ में राष्ट्रीय स्तर की शांति का भी भरोसा दिलवाया गया था।
लेकिन धीरे-धीरे तालिबान ने आम लोगों पर पाबंदियां लगाना शुरू कर दिया था। पुरुषों के लिए दाढ़ी रखना और महिलाओं के शरीर को ढ़कने वाले बुर्के का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया था। टीवी, संगीत और सिनेमा पर भी पाबंदी लगा थी। लड़कियों की शिक्षा पर भी रोक लगाई गई।
तालिबान ने अफगान के लोगों को भरोसा दिलाया की वह भ्रष्टाचार जैसे बड़े मुद्दे पर काम करेंगे और अराजकता की स्थिति में सुधार लाएंगे। सड़कों का निर्माण कराएंगे, जिससे नियंत्रण वाले इलाक़े में कारोबारी ढांचा पर अच्छा सुधार हो। इन सब सुविधाएं मुहैया कराने के लिए तालिबान ने वादें किए थे।
तब तालिबान ने दोषियों को सज़ा देने के इस्लामिक तौर तरीकों को लागू किया, जिसमें हत्या और व्याभिचार के दोषियों को सार्वजनिक तौर पर फांसी जैसी सजा लागू की और चोरी जैसे मामलों आरोपियों को अंग भंग करने जैसी सजाएं शामिल की गई थीं।
तालिबान शासन पर बुरा वक्त कब आया?
11 सितंबर, 2001 में अलकायदा ने न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला किया। जिसके बाद दुनियाभर का ध्यान तालिबान पर गया। हमलें के बाद तालिबान पर अलकायदा को शरण देने का आरोप लगा।
जिसके बाद 7 अक्टूबर 2001 में अमेरिका के नेतृत्व में सैन्य गठबंधन ने अफगानिस्तान पर हमले शुरू कर दिए थे और दिसंबर तक आते-आते अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन खत्म हो गया था।
वहीं तालिबानी के प्रमुख मुल्ला उमर की मौत 2013 में हो गई। उमर की मौत के बाद मुल्ला मंसूर को तालिबान का नया नेता बनाया गया।लेकिन, अमेरिका ने मई, 2016 में एक ड्रोन हमले से उसे भी मार गिराया था। जिसके बाद से मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का नेतृव्त कर रहा है।
20 साल तक अमेरिका अपने सैन्य के साथ तालिबान से लड़ता रहा और जैसे ही अब उसकी सेना अफगानिस्तन से वापिस लौटी तालिबान ने कुछ ही दिनों में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। इस बार तालिबान कह रहा है कि वो औरतों को उनके हक देगा और सबको साथ लेकर चलेगा, लेकिन इस बात पर यकीन कर ले अफगान लोगों के लिए जल्दबाजी साबित हो सकती है।
निष्कर्ष
तो आज के इस लेख में हमने तालिबान क्या है पर पूरी जानकारी प्राप्त करी है और जाना की क्यों ये समूह इतना खतरनाक है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस लेख से पूरी जानकारी विस्तार रूप से मिल गई होगी। यदि जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
धन्यवाद!
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तालिबान पर पूरी जानकारी से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर
Q. तालिबान का उद्देश्य क्या है?
Q.अफगानिस्तान की मदद कौन सा देश कर रहा है?
Q. क्या भारत को तालिबान से खतरा है?
Q. तालिबान का प्रधानमंत्री कौन है?