2- मानव मूल्यों का विनाश
जिस क्षण युद्ध करने का विचार आरंभ होता है ठीक उसी क्षण मानव के महत्वपूर्ण मूल्यों का विनाश हो जाता है। वह शांति, संतोष व प्रेम जैसे शब्दों का अर्थ भूल कर, केवल क्रोध व द्वेष की आंधी में बहने लगता है।
आजकल युद्ध आम हो गया हैं। हाल ही में तालिबान व अफ़गानिस्तान और यूक्रेन रूस की दशा देखकर सीधे-सीधे एक भयंकर संग्राम बढ़ता दिख रहा है। यह युद्ध संसार को तबाही की ओर लेकर जाने में सक्षम है।
3- शांति को क्षति
शांति ही परम लक्ष्य है।
अध्यात्म
जहां हमारा अध्यात्म शांति को परम लक्ष्य मानता है; वहीं दूसरी ओर इस तरह के युद्ध शांति का सटीक विलोम है। युद्ध की बात हो चाहे सशक्त विरोध की, शांति को ही सबसे ज्यादा क्षति पहुंचती है।
4- विश्व में अशांति का विस्तार
युद्ध की गंभीर व दिल दहला देने वाली स्थिति लगातार विश्व में अशांति का विस्तार कर रही है। यह अशांति लोगों के जीवन को गर्त की ओर ले कर जा रही है।
यदि ऐसे ही चलता रहा तो आने वाली पीढ़ियां युद्ध की साक्षी व प्रचारक बनेंगी, जोकि नर्क का पृथ्वी पर जीता जागता उदाहरण होगा।
5- युद्ध से जन व धन हानि
यदि हम अशांति व मानव मूल्य को एक तरफ रख दे, तो इस युद्ध का भीषण परिणाम जन व धन की हानि भी है। हर वर्ष करोड़ों लोग इन युद्ध में अपनी जान गवा देते हैं।
लोगों की संपत्ति भी पूर्ण तरह से नष्ट हो जाती है, जिसके बाद उनका जीवन जीना दूभर हो जाता है। एक युद्ध व परिणाम अति भयंकर।
युद्ध को रोकने का तरीका
1- साधारण युद्ध हो चाहे वैश्विक युद्ध; इनको रोकने का एक ही तरीका है वह है- सत्य की राह पर चलना। जब तक हम सत्य की ओर समर्पित नहीं होंगे तब तक इस समस्या का समाधान नहीं होगा।
2- अपने ज्ञान व विवेक का सही इस्तेमाल करके हम अपने दृष्टिकोण में बदलाव ला सकते हैं।
3- जीवन जीने का सही तरीका हमें अध्यात्म सिखाता है। यदि जीवन को ऊंचाई देनी हो तो अध्यात्म का हाथ पकड़े।
उपसंहार
यदि युद्ध के वेग को समय रहते ना रोका गया तो यह विश्व को बहुत ही गलत स्थान पर लाकर छोड़ेगा, जिसके बाद शायद इस स्थिति से उबरना मुमकिन नहीं होगा। यदि मनुष्य की चेतना का स्तर नहीं बढ़ाया गया, तो हमारे जीवन को नर्क होने में समय नहीं लगेगा।
तो दोस्तों, आज हमने युद्ध एक अंतरराष्ट्रीय समस्या पर निबंध पढ़ा। यदि आपको इस निबंध से कुछ सीखने को मिला हो तो इसे शेयर करके अपना सपोर्ट अवश्य दिखाएं। सधन्यवाद।
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